माइग्रेन

।। श्रीराधाकृष्ण चरणकमलेभ्यो नम: ।।



सिर के एक तरफ होता है दर्द तो हो सकता है अधकपारी रोग, जानें क्यों होता है आधे स‍िर में दर्द, लक्षण कारण और इलाज

एक अध्ययन में पाया गया कि भारत में 15 करोड़ लोग माइग्रेन से पीड़ित हैं.

माइग्रेन में आधे सिर में असहनीय दर्द होता है इस कारण इसे अधकपारी भी कहते है. हालांकि कई बार इसके कारण पूरे सिर में भी दर्द होने लगता है. यह दर्द दो घंटे से 72 घंटे तक रह सकता है. एक अध्ययन में पाया गया कि भारत में 15 करोड़ लोग माइग्रेन से पीड़ित हैं. पुरुषों की अपेक्षा भारतीय महिलाएं इस बीमारी से ज्यादा परेशान हैं. ट्राइगेमिनल नर्व में न्यूरोकेमिकल बदलाव और ब्रेन कैमिकल्स, खासतौर से सेरोटोनिन में असंतुलन की वजह से माइग्रेन उत्पन्न होता है. सेरोटोनिन का लेवल कम हो जाने पर न्यूरोपेप्टाइड का स्राव ब्रेन के बाहरी हिस्से में पहुंच कर माइग्रेन उत्पन्न करता है.



    अनुवांशिक तौर पर ये बीमारी पीढ़ी दर पीढ़ी लोगों को अपनी चपेट में ले सकती है. परिवार में किसी को माइग्रेन हो तो माइग्रेन होने की आशंका बढ़ जाती है. 
    हार्मोनल चेंजेस माइग्रेन की वजह हो सकते हैं. मासिक धर्म या गर्भावस्था के कारण महिलाओं में कई तरह के हार्मोनल चेंजेस देखे जाते हैं. कई बार इन बदलाव के कारण माइग्रेन का दर्द शुरू हो सकता है. इस तरह की हार्मोनल चेंजेस के कारण ही पुरुषों की तुलना में महिलाएं को ये रोग ज्यादा अपनी चपेट में लेता है. 
    तेज आवाज या बढ़ती घटती रोशनी के कारण सिर में माइग्रेन का दर्द शुरू हो सकता है.
    एलोपैथी की कुछ दवाओं के साइड इफेक्ट से भी ये दर्द शुरू हो सकता है. महिलाएं यदि बहुत ज्यादा बर्थ कंट्रोल पिल्स लेती हैं तो ये भी माइग्रेन पैदा कर सकते हैं.
     सोने और जागने के समय में लगातार बदलाव दर्द का कारण बन सकते हैं.
     बहुत ज्यादा थकान से माइग्रेन शुरू हो सकता है.
     ज्यादा टेंशन लेने और बेचैनी के माहौल में अधिक समय तक रहना पड़े, तो माइग्रेन का दर्द हो सकता है.
    सही समय पर भोजन न करने या कम पानी पीने से भी माइग्रेन का दर्द हो सकता है.
     विटामिन की कमी भी कई बार माइग्रेन का कारण बनती है.



    हरी पत्तेदार सब्जियां और फल का सेवन जरूर करें. बथुआ, आंवला, अंजीर, अनार, सेब, अमरूद आदि ज्यादा मात्रा में खाएं. आंवले के अलावा दूसरे खट्टे फलों के सेवन से बचे. ओमेगा-3 फैटी एसिड के साथ ही विटामिन-बी वाले फूड्स ज्यादा लें. दिन में सात-आठ गिलास पानी जरूर पीना चाहिए.
     सही समय पर सो जाएं और पूरी नींद लें.
     ज्यादा शोर-शराबे में जाने से बचें.
     तेज धूप में जानें से बचें, अधिक रोशनी से दर्द बढ़ सकता है.
     ज्यादा समय तक खाली पेट न रहें.
     जंक फूड से आपका दर्द बढ़ सकता है, इसलिए उनसे दूरी बनाएं.


माइग्रेन के लिए घरेलू उपाय

- सिर में पिपरमिंट के तेल की मालिश करने से दर्द से राहत मिलती है. 
- अदरक का छोटा टुकड़ा खा लें. इससे मिचली की परेशानी से राहत मिलती है.
- दर्द होने पर सिर को पलंग से थोड़ा नीचे लटकाएं और जिस हिस्से में दर्द हो रहा है उस तरफ की नाक में सरसों के तेल या गाय के घी की तीन-चार बूंदें डाल दें, आराम महसूस होगा.
- नियमित रूप से नाक और मुंह से भाप लें. 
- गर्दन, सिर और कंधों की मालिश कराएं तो आराम मिलेगा.


प्राणायाम करें

माइग्रेन के रोगियों के लिए प्राणायाम बड़े काम के साबित हो सकते हैं, साथ ही योग करना लाभकारी है. शवासन, सेतुबंधासन, हस्तपादासन, , मर्जरासन, पद्मासन, शिशु आसन पश्चिमोत्तानासन, शशांकासन, हलासन और मत्स्यासन माइग्रेन में राहत पहुंचाते हैं. प्राणायामों में अनुलोम-विलोम के साथ कपालभाति और भ्रामरी करें. 
आयुर्वेद में इलाज

माइग्रेन में आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से इलाज संभव है. कुछ खास जड़ी-बूटी से तैयार काढ़ा और तेल का इस्तेमाल माइग्रेन में आराम देता है. गुनगुना काढ़ा और साथ ही तेल सिर पर डाला जाता है. 15 से 20 मिनट की इस प्रक्रिया से पीड़ित को राहत मिलता है. ये पूरी प्रक्रिया 25 से 30 दिनों तक चलती है, इसमें पूरी बॉडी को स्टीम बाथ दिया जाता है साथ ही कई अन्य प्रक्रियाएं भी की जाती हैं. शिरोधारा के साथ आयुर्वेदिक दवाएं भी दी जाती है, इससे बीमारी जड़ से खत्म हो जाती है.


डॉक्टर से लें सलाह

    तकलीफ बहुत ज्यादा बढ़ गई हो, बार-बार दर्द होता हो, तो डॉक्टर की सलाह लेकर जरूरी जांच करा लेनी चाहिए. 
     ब्लड टेस्ट में ब्लड सेल्स से संबंधित समस्याओं को देखा जाता है.
    मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग करके ट्यूमर, ब्रेन हैम्रेज, स्ट्रोक, संक्रमण आदि के साथ ही ब्रेन और पूरे तंत्रिका तंत्र की स्थिति की जांच की जाती है.
    जांच के बाद डॉक्टर बीमारी की गंभीरता और उसके स्तर को देखते हुए दवाएं देते हैं.



अस्वीकरण: केवल सामान्य जानकारी है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.


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