Posts

श्रीराधाकृष्ण श्रीराधाकृष्ण राधाकृष्ण राधाकृष्ण। राधाकृष्ण राधाकृष्ण श्रीराधाकृष्ण श्रीराधाकृष्ण।।

विश्वमंगल प्रार्थना व आरतियां

।। श्रीराधाकृष्ण चरणकमलेभ्यो नम: ।। विश्वमंगल प्रार्थना व आरतियां सुखी बसे संसार सब दुखिया रहे न कोय यह अभिलाषा हम सबकी मेरे भगवन पूरी होय।। विद्या बुद्धि तेज बल सबके भीतर होय दूध पुत धन धान्य से वंचित रहे न कोय।। कृष्ण की भक्ति प्रेम से मन होवे भरपूर राग द्वेष से चित मेरा कोशो भागे दूर।। मिले भरोसा राम का, हमे सदा जगदीश आशा तेरे धाम की बनी रहे मम ईश।। नारायण प्रभु आप हो, पाप के मोचन हार नाव पड़ी मझधार में, कर दो भव से पार।। पाप से हमें बचाईए, करके दया दयाल  अपना भक्त बनाईके सबको करो निहाल।। कृष्ण कृपा कीजिए, भक्ति बढ़े अविराम साधु सत्संग दीजिए, संग दया नम्रता ज्ञान।। ®®®®®®®®®®®®®®®®®®®®®®® जय भगवद्गीते, जय भगवद्गीते । हरि-हिय-कमल-विहारिणी, सुंदर सुपुनीते।। जय... कर्म-सुमर्म-प्रकाशिनी, कामासक्तिहरा। तत्वज्ञान-विकाशिनी, विद्या ब्रह्म परा ।।जय... निश्चल-भक्ति-विधायिनी, निर्मल मलहारी। शरण-रहस्य-प्रदायिनी, सब विधि सुखकारी ।।जय... राग-द्वेष-विदारिणी, कारिणि मोद सदा। भव-भय-हारिणि, तारिणि, परमानन्दप्रदा ।।जय... आसुर-भाव-विनाशिनि, नाशिनि तम-रजनी। दैवी सद्गुणदायिनि, हरि-रसिका सजनी ।।जय... सम

गजल गीता

।। श्रीराधाकृष्ण चरणकमलेभ्यो नम: ।। गजल गीता प्रथमहिं गुरुको शीश नवाऊँ | हरिचरणों में ध्यान लगाऊँ ||१|| गजल सुनाऊँ अद्भुत यार | धारण से हो बेड़ा पार ||२|| अर्जुन कहै सुनो भगवाना | अपने रूप बताये नाना ||३|| उनका मैं कछु भेद न जाना | किरपा कर फिर कहो सुजाना ||४|| जो कोई तुमको नित ध्यावे | भक्तिभाव से चित्त लगावे ||५|| रात दिवस तुमरे गुण गावे | तुमसे दूजा मन नहीं भावे ||६|| तुमरा नाम जपे दिन रात | और करे नहीं दूजी बात ||७|| दूजा निराकार को ध्यावे | अक्षर अलख अनादि बतावे ||८|| दोनों ध्यान लगाने वाला | उनमें कुण उत्तम नन्दलाला ||९|| अर्जुन से बोले भगवान् | सुन प्यारे कछु देकर ध्यान ||१०|| मेरा नाम जपै अरू गावै | नेत्रों में प्रेमाश्रु छावे ||११|| मुझ बिनु और कछु नहीं चावे | रात दिवस मेरा गुण गावे ||१२|| सुनकर मेरा नामोच्चार | उठै रोम तन बारम्बार ||१३|| जिनका क्षण टूटै नहिं तार | उनकी श्रद्घा अटल अपार ||१४|| मुझ में जुड़कर ध्यान लगावे | ध्यान समय विह्वल हो जावे ||१५|| कंठ रुके बोला नहिं जावे | मन बुधि मेरे माँही समावे ||१६|| लज्जा भय रु बिसारे मान | अपना रहे ना तन का ज्ञान ||१७|| ऐसे जो मन ध्

वाल्मीकि रामायण

।। श्रीराधाकृष्ण चरणकमलेभ्यो नम: ।। क्या वाल्मीकि रामायण के अनुसार श्री राम केवल एक राजा थे, वह कोई भगवान नहीं थे? आप भी जानिए वाल्मीकि सृष्टिकर्ता भगवान वाल्मीकि जो आदिकवि के रूप में प्रसिद्ध हैं। उन्होंने संस्कृत मे रामायण की रचना की। उनके द्वारा रची रामायण वाल्मीकि रामायण कहलाई। रामायण एक महाकाव्य है जो कि राम के जीवन के माध्यम से हमें जीवन के सत्य व कर्तव्य से, परिचित करवाता है। वाल्मीकि रामायण में श्रीराम को साधारण मनुष्य नहीं दिखाया गया है। वाल्मीकि रामायण में भी श्रीराम को भगवान् विष्णु का अवतार और परम ब्रह्म बताया गया है, जहाँ ब्रह्मा भी उनकी स्तुति करते हैं। आप स्वयं ही देखिए कि वाल्मीकि रामायण में ब्रह्मा जी नें श्रीराम की किस प्रकार स्तुति की है : उद्धरण : भवान् नारायणो देव: श्रीमांश्रच्क्रायुध: प्रभु:। एकश्रृंगो वराहस्त्वं भूतभव्यसपत्नजित्।।१३।। अक्षरं ब्रह्म सत्यं च मध्ये चान्ते च राघव। लोकानां त्वं परो धर्मो विश्वक्सेनश्चतुर्भुज:।।१४।। शार्ङग्धन्वा हृषीकेश: पुरुष: पुरुषोत्तम:। अजित: खड्गधृग विष्णु: कृष्णश्चैव बृहद्वल:।।१५।। (स्रोत : सर्ग 117, युद्धकाण्ड, वाल्मीकि रामायण)