विश्वमंगल प्रार्थना व आरतियां

।। श्रीराधाकृष्ण चरणकमलेभ्यो नम: ।।


विश्वमंगल प्रार्थना व आरतियां

सुखी बसे संसार सब दुखिया रहे न कोय
यह अभिलाषा हम सबकी मेरे भगवन पूरी होय।।

विद्या बुद्धि तेज बल सबके भीतर होय
दूध पुत धन धान्य से वंचित रहे न कोय।।

कृष्ण की भक्ति प्रेम से मन होवे भरपूर
राग द्वेष से चित मेरा कोशो भागे दूर।।

मिले भरोसा राम का, हमे सदा जगदीश
आशा तेरे धाम की बनी रहे मम ईश।।

नारायण प्रभु आप हो, पाप के मोचन हार
नाव पड़ी मझधार में, कर दो भव से पार।।

पाप से हमें बचाईए, करके दया दयाल 
अपना भक्त बनाईके सबको करो निहाल।।

कृष्ण कृपा कीजिए, भक्ति बढ़े अविराम
साधु सत्संग दीजिए, संग दया नम्रता ज्ञान।।

®®®®®®®®®®®®®®®®®®®®®®®
जय भगवद्गीते, जय भगवद्गीते ।
हरि-हिय-कमल-विहारिणी, सुंदर सुपुनीते।। जय...
कर्म-सुमर्म-प्रकाशिनी, कामासक्तिहरा।
तत्वज्ञान-विकाशिनी, विद्या ब्रह्म परा ।।जय...
निश्चल-भक्ति-विधायिनी, निर्मल मलहारी।
शरण-रहस्य-प्रदायिनी, सब विधि सुखकारी ।।जय...
राग-द्वेष-विदारिणी, कारिणि मोद सदा।
भव-भय-हारिणि, तारिणि, परमानन्दप्रदा ।।जय...
आसुर-भाव-विनाशिनि, नाशिनि तम-रजनी।
दैवी सद्गुणदायिनि, हरि-रसिका सजनी ।।जय...
समता, त्याग सिखावनी, हरि-मुखकी बानी।
सकल शास्त्रकी स्वामिनि, श्रुतियोंकी रानी ।।जय...
दया-सुधा बरसावनि मातु! कृपा कीजै।
हरिपद-प्रेम दान कर अपनो कर लीजै ।।जय...
¢¢¢¢¢¢¢¢¢¢¢¢¢¢¢¢¢¢¢¢¢¢¢¢¢¢¢¢¢¢¢¢¢
परम कृपा स्वरुप है परम प्रभु श्रीराम,
जनपावन परमात्मा परम पुरुष सुखधाम।
सुखदा है सौभाग्य कृपा शक्ति शांति स्वरूप,
धैर्य ज्ञान आनंदमयी रामकृपा अनुप।।

आरती मंत्र
ॐ इदम‌‌ ँ हवि: प्रजननं मे अस्तु दशवीर: सर्वगण ँ स्वस्तये । आत्मसनि प्रजासनि पशुसनि लोकसन्यऽभयसनि । अग्निः प्रजां बहुलां मे करोत्वन्नं पयोरेतो अस्मासु धत: आ रात्रि पार्थिव ँ रज: पितुरप्रायि धामभि: दिव: सदा ँ सि बृहती वि तिष्ठस आत्वेषं वर्तते तम: ।।

कदलीगर्भसम्भूतं कर्पूरं च प्रदीपितीम आरार्तिकमहं कुर्वे पश्य मे भरदो भव। ॐ अग्निर्ज्योति र्ज्योतिरग्नि स्वाहा सूर्यो ज्योतिर्ज्योति: सूर्य: स्वाहा अग्निवर्चो ज्योतिर्वर्च: स्वाहा सूर्यो वर्चो ज्योति र्वर्च : स्वाहा सूर्य: सूर्यो ज्योति : स्वाहा । साज्यं च वर्तिसंयुक्तं वह्निनां योजितम मया दीपम गृहाण देवेश त्रैलोक्य तिमिरापहम। भक्तया दीपं प्रयच्छामि देवाय परमात्मने नमः , त्राहि माम निरयाद घोराद दीपर्ज्योतिनमोऽस्तुते।।
..................…...............……...........................
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।।
अंजनि पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई।
दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुध लाए।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।
लंका जारी असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आणि संजीवन प्राण उबारे।
पैठी पताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखाड़े।
बाएं भुजा असुर दल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे।
सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे।
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।
लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।
जो हनुमानजी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।
..................…...............……...........................
ॐ जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे

भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट
क्षण में दूर करे
ॐ जय जगदीश हरे

ॐ जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त ज़नो के संकट, दास ज़नो के संकट
क्षण में दूर करे
ॐ जय जगदीश हरे

जो ध्यावे फल पावे, दुःख बिन से मन का
स्वामी दुख बिन से मन का
कृष्ण चंद्र हिय आवे
सुख सम्पति घर आवे
सुख सम्पति घर आवे
कष्ट मिटे तन का
ॐ जय जगदीश हरे

मात पिता तुम मेरे
शरण गहूं किसकी
स्वामी शरण गहूं किसकी
तुम बिन और ना दूजा
तुम बिन और ना दूजा
आस करूँ जिसकी
ॐ जय जगदीश हरे

तुम पूरण, परमात्मा
तुम अंतरियामी
स्वामी तुम अंतरियामी
पार ब्रह्म परमेश्वर
पार ब्रह्म परमेश्वर
तुम सबके स्वामी
ॐ जय जगदीश हरे

तुम करुणा के सागर
तुम पालन करता
स्वामी तुम पालन करता
मैं मूरख खलकामी
मैं सेवक तुम स्वामी
कृपा करो कृष्णा (भर्ता)
ॐ जय जगदीश हरे

तुम हो एक अगोचर
सबके प्राण पति
स्वामी सबके प्राण पति
किस विध मिलु दयामय
किस विध मिलु दयामय
तुम को मैं कुमति
ॐ जय जगदीश हरे

दीन-बन्धु दुःख-हर्ता
ठाकुर तुम मेरे
स्वामी रक्षक तुम मेरे
अपने हाथ उठाओ
अपनी शरण लगाओ
द्वार पड़ा तेरे
ॐ जय जगदीश हरे

विषय-विकार मिटाओ,अज्ञान (पाप) हरो कृष्णा (देवा)
स्वामी पाप हरो देवा
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ
सन्तन हरि की सेवा
ॐ जय जगदीश हरे

‌श्रीकृष्ण जी की आरती, जो कोई नर गावे
कहत कृष्णशरण यह,श्रीकृष्णभक्ति (सुख संपत्ति) पावे
ओम जय जगदीश हरे

ओम जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त ज़नो के संकट
दास ज़नो के संकट
क्षण में दूर करे
ॐ जय जगदीश हरे

ॐ जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त ज़नो के संकट
दास जनो के संकट
क्षण में दूर करे
ॐ जय जगदीश हरे
________________________________________
आरती बालकृष्ण की कीजै, अपनो जन्म सुफल करि लीजै।

श्रीजसुदा को परम दुलारौ, बाबाकी अंखियन की तारौ
गोपिन के प्राणन सौं प्यारौ, इनपे प्राण निछावर कीजै
आरती बालकृष्ण की कीजै...

बलदाऊ को छोटो भईया, कनुआं कहि कहि बोलत मैया
परम मुदित मन लेत बलैया, अपनो सरबस इनको दीजै
आरती बालकृष्ण की कीजै...

श्रीराधावर सुघर कन्हैया, ब्रजजन कूं नवनीत खवैय्या
देखत ही मन लेत चुरैया, यह छवि नयनन में भरि लीजै
आरती बालकृष्ण की कीजै...

तोतरि बोलन मधुर सुहावै, सुखन संग खेलत सुख पावै
सोई सुकृती जो इनको ध्यावै, अब इनकूं अपनो करि लीजै
आरती बालकृष्ण की कीजै...
________________________________________
कर प्रणाम तेरे चरणों में लगता हूं अब तेरे काज।
पालन करने को आज्ञा तव मैं नियुक्त होता हूं आज।।
अन्तरमें स्थित रहकर मेरे बागडोर पकड़े रहना।
निपट निरंकुश चंचल मन को सावधान करते रहना।।
अन्तर्यामीको अन्त:स्थित देख सशड्कित होवे मन।
पाप-वासना उठते ही हो नाश लाजसे वह जल-भुन।।
जीवोंका कलरव जो दिनभर सुननेमें मेरे आवे।
तेरा ही गुणगान जान मन प्रमुदित हो अति सुख पावे।।
तू ही है सर्वत्र व्याप्त हरि! तुझमें यह सारा संसार।
इसी भावनासे अन्तरभर मिलूं सभीसे तुझे निहार।।
प्रतिपल निज इन्द्रियसमूहसे जो कुछ भी आचार करूं।
केवल तुझे रिझाने को, बस तेरा ही व्यवहार करूं।।

प्रार्थना-गीता दैनन्दिनी (गीता प्रेस)
त्वमेव माता च पिता त्वमेव
त्वमेव बंधुश्च सखा त्वमेव।
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव
त्वमेव सर्वं मम देवदेव।।

मेरी शक्ति थक गयी सारी, उद्यम-बलने मानी हार
हुआचूर पुरुषार्थ-गर्व सब,निकली बरबस करुण पुकार
शक्तिमान हे! शक्ति-स्त्रोत हे! करुणामय हे परम उदार
शक्तिदान दे कर लो मुझको यन्त्र-रुप में अंगीकार।।
हरो सभी तम तुरत, सूर्य-सम करो दिव्य आभा विस्तार
जो चाहो सो करो, नित्य नि:शंक निजेच्छाके अनुसार
कहीं डुबा रक्खो कैसे ही, अथवा ले जाओ उस पार
अथवा मध्य-हिंडोलेपर ही, रहो झूलाते बारम्बार।।
भोग्य बना भोक्ता बन जाओ, भर्ता बनो भले सरकार
बचे न ‘ननु नच’ कहनेवाला, मिटें अहं के क्षुद्र विकार
कौन प्रार्थना करे, किस तरह, 
किसकी, फिर, हे सर्वाधार!
सर्व बने तुम अपनेमें ही
करो सदा स्वच्छन्द विहार।।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
बोलो गजानन गणाधीश दीनदयाल, 
आरती उतारूं तेरी गौरा जी के लाल
बोलो गजानन गणाधीश दीनदयाल...

लंबोदर चतुर्भुज, लीला तेरी न्यारी है
वक्रतुंड महाकाय मुषे की सवारी है
तेरे भक्त लाए भर, लड्डुओं के थाल
आरती उतारूं मैं तो गौरा जी के लाल

ऋद्धि सिद्धि पत्नी तेरी, शुभ लाभ दो है सुत
तेरी पुजा करने वाले हो जाएं पापों से मुक्त
जय गणेश बोलो, कटे संकटो के जाल
आरती उतारूं मैं तो गौरा जी के लाल

ब्रह्मा विष्णु रुद्र सबसे पहले पुजा तेरी है
कार्य सिद्धी हेतु तेरी कृपा भी जरूरी है
शंख घंटा बाजे, मीठी झांझरो की ताल
आरती उतारूं मैं तो गौरा जी के लाल

नेत्रहीन नेत्र पावे, बलहीन पावे बल
रोगग्रस्त नमन करे, रोग जाए सारे टल
बुद्धि के विधाता तुझे, पुजे संसार
आरती उतारूं मैं तो गौरा जी के लाल

माटी से बनाया मां ने, माटी तेरी पुजा है
तेरे जैसा एकदंत और नहीं दुजा है
शिवजी के प्यारे, लाडले गोपाल
आरती उतारूं मैं तो गौरा जी के लाल 
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं,
हे गिरिधर तेरी आरती गाऊं।
आरती गाऊं प्यारे आपको रिझाऊं,
श्याम सुन्दर तेरी आरती गाऊं।
बाल कृष्ण तेरी आरती गाऊं॥

मोर मुकुट प्यारे शीश पे सोहे।
प्यारी बंसी मेरो मन मोहे।
देख छवि बलिहारी मैं जाऊं।
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं॥

चरणों से निकली गंगा प्यारी,
जिसने सारी दुनिया तारी।
मैं उन चरणों के दर्शन पाऊं।
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं॥

दास अनाथ के नाथ आप हो।
दुःख सुख जीवन प्यारे साथ आप हो।
हरी चरणों में शीश झुकाऊं।
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं॥

श्री हरिदास के प्यारे तुम हो।
मेरे मोहन जीवन धन हो।
देख युगल छवि बलि बलि जाऊं।
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं॥

संग सोहे वृषभानु दुलारी, 
ललितादिक सब सखियां प्यारी,
वास सदा वृंदावन पाऊं,
हे गिरिधर तेरी आरती गाऊं

श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं,
आरती गाऊं प्रभु, तुमको रिझाऊं,
हे गिरिधारी तेरी आरती गाऊं,
कुंज बिहारी तेरी आरती गाऊं,
श्याम सुन्दर तेरी गाऊं, 
आरती गाऊं प्रभु हृदय में बसाऊं।
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं...
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की

आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला।
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला।
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली।
लतन में ठाढ़े बनमाली;
भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलक;
ललित छवि श्यामा प्यारी की॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥ x2

कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं।
गगन सों सुमन रासि बरसै;
बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिन संग;
अतुल रति गोप कुमारी की॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥ x2

जहां ते प्रकट भई गंगा, कलुष कलि हारिणि श्रीगंगा।
स्मरन ते होत मोह भंगा;
बसी सिव सीस, जटा के बीच, हरै अघ कीच;
चरन छवि श्रीबनवारी की॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥ x2

चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू;
हंसत मृदु मंद,चांदनी चंद, कटत भव फंद;
टेर सुन दीन दुखारी की॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥ x2

आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥

अम्बे तू है जगदम्बे काली जय दुर्गे खप्पर वाली
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली
तेरे ही गुण गावें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली
तेरे ही गुण गावें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती

तेरे भक्तजनो पर माता, भीड़ पड़ी है भारी, भीड़ पड़ी है भारी
दानव दल पर टूट पड़ो, माँ करके सिंह सवारी, करके सिंह सवारी
तेरे भक्तजनो पर माता, भीड़ पड़ी है भारी, भीड़ पड़ी है भारी
दानव दल पर टूट पड़ो, माँ करके सिंह सवारी, करके सिंह सवारी

सौ-सौ सिहों से भी बलशाली, हे दस भुजाओं वाली
दुखियों के दुखड़े निवारती
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली
तेरे ही गुण गावें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती

माँ-बेटे का है इस जग मे, बड़ा हीनिर्मल नाता, बड़ा हीनिर्मल नाता
पूत-कपूत सुने है, पर ना माता सुनी कुमाता, माता सुनी कुमाता
माँ-बेटे का है इस जग मे बड़ा ही निर्मल नाता, बड़ा ही निर्मल नाता
पूत-कपूत सुने है, पर ना माता सुनी कुमाता, माता सुनी कुमाता

सब पे करूणा दर्शाने वाली, अमृत बरसाने वाली
दुखियों के दुखडे निवारती
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली
तेरे ही गुण गावें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती

नहीं मांगते धन और दौलत, न चांदी न सोना, न चांदी न सोना
हम तो मांगें माँ तेरे चरणों में, छोटा सा कोना, इक छोटा सा कोना
नहीं मांगते धन और दौलत, न चांदी न सोना, न चांदी न सोना
हम तो मांगें माँ मन में, इक छोटा सा कोना, इक छोटा सा कोना
सबकी बिगड़ी बनाने वाली, लाज बचाने वाली, सतियों के सत को सवांरती

ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती
ओ अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली
तेरे ही गुण गावें भारती
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती
ॐ जय शिव ओंकारा
ॐ जय शिव ओंकारा, प्रभु हर शिव ओंकारा
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा
ॐ जय शिव ओंकारा

ॐ जय शिव ओंकारा, प्रभु हर शिव ओंकारा
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा
ॐ जय शिव ओंकारा
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे
स्वामी पञ्चानन राजे
हंसासन गरूड़ासन
हंसासन गरूड़ासन
वृषवाहन साजे
ॐ जय शिव ओंकारा

दो भुज चार चतुर्भुज, दसभुज ते सोहे
स्वामी दसभुज ते सोहे
तीनों रूप निरखता
तीनों रूप निरखता
त्रिभुवन मन मोहे
ॐ जय शिव ओंकारा

अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी
स्वामी मुण्डमाला धारी
चन्दन मृगमद चंदा
चन्दन मृगमद चंदा
भोले शुभ कारी
ॐ जय शिव ओंकारा

श्वेताम्बर, पीताम्बर, बाघाम्बर अंगे
स्वामी बाघाम्बर अंगे
ब्रह्मादिक संतादिक
ब्रह्मादिक संतादिक
भूतादिक संगे
ॐ जय शिव ओंकारा

कर मध्ये च’कमण्ड चक्र त्रिशूलधरता
स्वामी चक्र त्रिशूलधरता
जग कर्ता जग हरता
जग कर्ता जग हरता
जगपालन करता
ॐ जय शिव ओंकारा

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव जानत अविवेका
स्वामी जानत अविवेका
प्रनाबाच्क्षर के मध्ये
प्रनाबाच्क्षर के मध्ये
ये तीनों एका
ॐ जय शिव ओंकारा

त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ जन गावे
स्वामी जो कोइ जन गावे
कहत शिवानन्द स्वामी
कहत शिवानन्द स्वामी
मनवान्छित फल पावे
ॐ जय शिव ओंकारा

ॐ जय शिव ओंकारा, प्रभु हर शिव ओंकारा
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा
ॐ जय शिव ओंकारा

ॐ जय शिव ओंकारा, प्रभु हर शिव ओंकारा
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा
ॐ जय शिव ओंकारा
आरती युगलकिशोर की कीजै।
राधे तन मन धन न्योछावर कीजै॥

रवि शशि कोटि बदन की शोभा।
ताहि निरखि मेरो मन लोभा॥

गौरश्याम मुख निरखन लीजै।
हरि का रूप नयन भरि पीजै॥

कंचन थार कपूर की बाती।
हरि आए निर्मल भई छाती॥

फूलन सेज फूल की माला।
रत्न सिंहासन बैठे नंदलाला॥

मोर मुकुट मुरली कर सोहे।
नटवर वेष देख मन मोहे।।

ढाडयो नील पीत पट सारी।
कुंजबिहारी गिरिवरधारी।।

श्री पुरुषोत्तम गिरिवरधारी।
आरती करें सकल ब्रजवासी॥

नंदनंदन बृषभान किशोरी।
परमानंद स्वामी अविचल जोरी॥
»»»»»»»»»»»»»»»»»»»»»»»»»»»»»»»»»»»»»»»»
आरती कीजै श्रीकृष्णचंद्र की, पीताम्बरधर मुनिमनहर की
करूणासिंधो जगत्पति की-२,चक्र और मुरलीधर श्रीकी
आरती कीजै श्रीकृष्णचंद्र की...

ललाट पर है कस्तुरी चंदन, सुरनर मुनि करते सब वंदन
कृष्णशरण नित शीश झुकावत, कृष्ण चरण रज अति पावन की
आरती कीजै श्रीकृष्णचंद्र की...

रामरूप धर आनेवाले, गीता ज्ञान सुनाने वाले
मनमंदिर में बसने वाले, श्यामसुंदर श्रीकृष्णचंद्र की
आरती कीजै श्रीकृष्णचंद्र की...
जय श्री कृष्ण हरे
ॐ जय श्री कृष्ण हरे, प्रभु जय श्री कृष्ण हरे
भक्तन के दुख टारे पल में दूर करे. जय जय श्री कृष्ण हरे....

परमानन्द मुरारी मोहन गिरधारी,
जय रस रास बिहारी जय जय गिरधारी जय जय
श्री कृष्ण हरे....

कर कंचन कटि कंचन श्रुति कुंड़ल माला
मोर मुकुट पीताम्बर सोहे बनमाला.जय जय
श्री कृष्ण हरे....

दीन सुदामा तारे, दरिद्र दुख टारे.
जग के फ़ंद छुड़ाए, भव सागर तारे.जय जय
श्री कृष्ण हरे....

हिरण्यकश्यप संहारे नरहरि रुप धरे.
पाहन से प्रभु प्रगटे जन के बीच पड़े. जय जय
श्री कृष्ण हरे....

केशी कंस विदारे नर कूबेर तारे.
दामोदर छवि सुन्दर भगतन रखवारे. जय जय
श्री कृष्ण हरे....

काली नाग नथैया नटवर छवि सोहे.
फ़न फ़न चढ़त ही नागन, नागन मन मोहे. जय जय
श्री कृष्ण हरे....

राज्य विभिषण थापे सीता शोक हरे.
द्रुपद सुता पत राखी करुणा लाज भरे. जय जय
श्री कृष्ण हरे....

श्याम सुंदर जी की आरती जो कोई नर गावे, स्वामी प्रेमसहित गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे

ॐ जय श्री कृष्ण हरे.
श्रीश्याम जी की आरती
ॐ जय श्री श्याम हरे, कृष्ण जय श्री श्याम हरे।
वृंदावन धाम विराजत, अनुपम रूप धरे।। ॐ जयश्री.

रतन जड़ित सिंहासन , सिर पर चंवर डुले।
तन पीताम्बर सोहे, कुंडल श्रवण पड़े।। जयश्री कृष्ण.

गल पुष्पों की माला, सिर पर मुकुट धरे।
अगर धूप अग्नि कृष्ण, दीपक ज्योति जले।। जय श्री

माखन खीर चूरमा, सुवर्ण थाल भरे।
सेवक भोग लगावत, सेवा नित्य करे।। जय श्री कृष्ण

झांझ करताल और घडियावल, शंख मृदंग धरे।
भक्त आरती गावे, जय जय कार करे।। जय श्री

जो ध्यावे फल पावे, सब दुख से उबरे।
सेवक जन निज मुख से ,श्री श्याम श्याम उचरे।। जय 

श्रीश्याम कृष्ण जी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत दास श्रीकृष्णशरण , मनवांछित फल पावे।।...

जय श्री श्याम हरे, कृष्ण जय श्री श्याम हरे।
निज भक्तों के तुमने पुरण काम करे।। जयश्रीकृष्णहरे

क्षमा करो श्रीकृष्णा-2, भूल भई हमसे-2
तुम सर्वज्ञ हो मैं अल्पज्ञ, भक्ति में लीन करें।।हरि जय श्री श्याम हरे।।


हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ
आरती उतारूँ तुझे तन मन बारूँ,

कनक शिहांसन रजत जोड़ी,
दशरथ नंदन जनक किशोरी,
युगुल  छबि को सदा निहारूँ,
हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ........

बाम भाग शोभति जग जननी, 
चरण बिराजत है सुत अंजनी,
उन चरणों को सदा पखारू,
हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ........ 

आरती हनुमंत के मन भाये,
राम कथा नित शिव जी गाये,
राम कथा हिरदय में उतारू,
हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ........ 

चरणों से निकली गंगा प्यारी,
बधन करती दुनिया सारी,
उन चरणों में शीश को धारू,
हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ........ 
आरती कीजै श्री रघुवर जी की,
सतचित आनंद शिव सुंदर की,

दशरथ तनय कौशल्या नंदन,
सुर, मुनि,रक्षक, दैत्य निकंदन,
अनुगत भक्त-भक्त उर चंदन,
मर्यादा पुरुषोत्तम वर की,
आरती कीजे श्री... ....

निर्गुण,सगुण, अनूप रूप निधि,
सकल लोक वन्दित विभिन्न विधि,
हरण शोक भयदायक नवनिधि,
माया रहित दिव्य नर वर की,
आरती कीजै श्री.......

जानकी पति सुर अधिपति जगपति,
अखिल लोक पालक त्रिलोक गति,
विश्व बंध अवंनह अमित गति,
एक मात्र गति सचराचर की,
आरती कीजै श्री.........

शरणागति वत्सल व्रतधारी,
भक्त कल्प तरुवर असुरारी,
नाम लेत जग पावन कारी,
वानर सखा दीन दुःख हर की,
आरती कीजै श्री......
जगमग जगमग, जोत जली हैं ,
 मेरे श्याम जी की आरती, होने लगी हैं ! 
जगमग जगमग, जोत जली हैं ,
 मेरे श्याम जी की आरती, होने लगी हैं ! 

मेरे श्याम मेरे श्याम, मेरे श्याम मेरे श्याम...2

चरणों से निकली हैं गंगा प्यारी, 2
जिसने ये सारी दुनिया तारी, 
उन चरणों में, मैं शीश झुकाऊं ।। मेरे श्याम जी की...

जगमग जगमग, जोत जली हैं ,
 मेरे श्याम जी की आरती, होने लगी हैं ! 
श्री राधाजी की आरती

आरती राधाजी की कीजै। टेक...

कृष्ण संग जो कर निवासा, कृष्ण करे जिन पर विश्वासा।
आरती वृषभानु लली की कीजै। आरती...

कृष्णचन्द्र की करी सहाई, मुंह में आनि रूप दिखाई।
उस शक्ति की आरती कीजै। आरती...

नंद पुत्र से प्रीति बढ़ाई, यमुना तट पर रास रचाई।
आरती रास रसाई की कीजै। आरती...

प्रेम राह जिनसे बतलाई, निर्गुण भक्ति नहीं अपनाई।
आरती राधाजी की कीजै। आरती...

दुनिया की जो रक्षा करती, भक्तजनों के दुख सब हरती।
आरती दु:ख हरणीजी की कीजै। आरती...

दुनिया की जो जननी कहावे, निज पुत्रों की धीर बंधावे।
आरती जगत माता की कीजै। आरती...

निज पुत्रों के काज संवारे, रनवीरा के कष्ट निवारे।
आरती विश्वमाता की कीजै। आरती राधाजी की कीजै...।
श्रीराम जी की आरती
हे राजाराम तेरी आरती उतारूं , 
आरती उतारूं प्यारे तन मन वारुं ।
कनक सिंहासन राजत जोरी , 
दशरथ नंदन जनक किशोरी।। हे राजाराम...

वाम भाग शोभित जगजननी,
चरण विराजत है सुत अंजनि।। हे राजाराम...

चरणों से निकली है, गंगा प्यारी
वंदन करती है दुनिया सारी ।। हे राजाराम...

आरती हनुमत के मन भावे,
रामकथा नित शिवजी गावे।।हे राजाराम...
१.श्री भागवत भगवान की है आरती

श्री भागवत भगवान की है आरती 
पापियों को पाप से है तारती, श्री भागवत भगवान्...
यह अमर ग्रन्थ,यह मुक्ति पंथ
ये पंचम वेद निराला 
नव जोत जगाने वाला , 
हरि नाम यही, हरि ध्यान यही
यह जग मंगल की आरती,पापियों को पाप से है तारती ।। श्री भागवत भगवान...

यह शांति गीत , पावन पुनीत 
पापों को मिटाने वाला
हरि दर्श कराने वाला , 
यह सुख करनी, यह दुःख हरनी
श्री मधुसूदन की आरती, पापियों को पाप से है तारती ।। श्री भागवत भगवान...

यह मधुर बोल, हरि पंथ खोल
सतमार्ग बतानेवाला
बिगड़ी को बनानेवाला,
श्री राम यही, घनश्याम यही
हरि की महिमा की आरती, पापियों को पाप से है तारती ।। श्री भागवत भगवान...


Comments

Popular Posts

A Rare Voice: The Songs of My Grandfather

Vaidic Vedi Chakra (Vaidic Mandal Nirman)