विचार

।। श्रीराधाकृष्ण चरणकमलेभ्यो नम: ।।

शब्द मौन से ज्यादा कीमती हों, नहीं तो चुप रहना ही बेहतर है। 2. क्रोध की शुरुआत गलती से होती है और अंत प्रायश्चित से। 3. शरीर के बजाय अपनी आत्मा को मजबूत बनाइए। 4. अपना काम अच्छे तरीके से करने के बाद संतुष्ट होकर आराम कीजिए। दूसरे आपके बारे में क्या बात करते हैं, ये उन्हीं पर छोड़ दीजिए। 5. ज्यादा शब्दों में थोड़ा कहने के बजाए कम शब्दों में ज्यादा बताने की कोशिश करें। 6. हां और नहीं- ये दुनिया के सबसे पुराने और छोटे शब्द हैं, लेकिन इनके इस्तेमाल के लिए सबसे ज्यादा सोचना पड़ता है। 7. क्रोध में न हमें कुछ बोलना चाहिए, न कोई काम करना चाहिए। 8. मनुष्य का जब तक खुद पर नियंत्रण न हो, तब तक वह स्वतंत्र नहीं हो सकता। 9. बच्चों को शिक्षित करेंगे तो आगे चलकर वयस्कों को दंड देने की जरूरत नहीं होगी। 10. दुश्मन की दोस्ती मिलने से बेहतर है दोस्त की दुश्मनी लेना। 11. मूर्ख व्यक्ति की पहचान उसकी वाचालता से होती है, बुद्धिमान व्यक्ति की पहचान उसके मौन से।
पाइथागोरस 


    वोल्तेयर महान फ्रांसीसी लेखक, नाटककार एवं दार्शनिक थे। उनका वास्तविक नाम फ्रांस्वा-मारी आहुए था।

- किसी निर्दोष को दंडित करने से बेहतर है एक दोषी व्यक्ति को बख्श देने का जोखिम उठाना। - जिंदगी में सबसे बड़ी राहत जो आप सोचते हैं वो कह पाने की क्षमता में है। - क्या कोई ऐसा बुद्धिमान है जिसने दूसरों के अनुभव से सीखा हो? - ऐसा न सोचें कि पैसा सब कुछ करता है वरना आप सब कुछ पैसे के लिए करने लगेंगे। - मनुष्य उसी क्षण स्वतंत्र है जब वह होना चाहता है। - काम हमें तीन बड़ी चीजों से बचाता है : बोरियत, अवगुण और आवश्यकता। - चाहे हम कुछ रुचिकर न खोज पाएं, कम से कम हमें कुछ नया तो खोजना ही चाहिए। - हो सकता है मैं आपके विचारों से सहमत न हो पाऊं पर विचार प्रकट करने के आपके अधिकार की रक्षा करूंगा।

नर हो, न निराश करो मन को, कुछ काम करो, कुछ काम करो, जग में रह कर कुछ नाम करो, यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो, समझो जिसमें यह व्यर्थ न हो, कुछ तो उपयुक्त करो तन को, नर हो, न निराश करो मन को’

स्टूडेंट्स के लिए निराशा से बचने का BT-LMR फार्मूला

Think Big: B)
Give Time: T)
Failure is Learning: L)
Meaning to Life – M)
Reset goals: R)

The world is so perfect. The God must have been a Mathematician 
-------Newton

हवा सब जगह होते हुए भी आनंद छांव में बैठने पर आता है। इसी तरह भगवान सब जगह होते हुए भी मंदिर में उनके विग्रह के सामने ही‌ आनंद आता है। --विवेकानंद

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