पंचामृत

।। श्रीराधाकृष्ण चरणकमलेभ्यो नम: ।।

श्रद्धेय स्वामी श्रीरामसुखदासजी महराजके प्रवचनसे
।। श्रीहरि:।।
हे मेरे नाथ श्रीकृष्ण! मैं आपको भूलूं नहीं

सच्ची और पक्की बात 
यदि आपको दुःख, अशांति, आफत चाहिए तो शरीर - संसार से संबंध जोड़ लो, उनको अपना मान लो और यदि सुख, शांति, आनंद, मस्ती चाहिए तो परमात्मा श्री कृष्ण से संबंध जोड़ लो, उनको अपना मान लो।--चुनाव आपके हाथमें है।

पंचामृत
१. हम भगवान श्रीकृष्ण के ही हैं।
२. हम जहां भी रहते हैं, भगवान श्रीकृष्ण के ही दरबार में रहते हैं।
३. हम जो भी शुभ काम करते हैं, भगवान श्रीकृष्ण का ही काम करते हैं।
४. शुद्ध - सात्विक जो भी पाते हैं, भगवान श्रीकृष्ण का ही प्रसाद पाते हैं।
५. भगवान श्रीकृष्ण के दिए प्रसाद से भगवान श्रीकृष्ण के ही जनों की सेवा करते हैं।


 

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