वाल्मीकि रामायण

।। श्रीराधाकृष्ण चरणकमलेभ्यो नम: ।।


क्या वाल्मीकि रामायण के अनुसार श्री राम केवल एक राजा थे, वह कोई भगवान नहीं थे? आप भी जानिए

वाल्मीकि सृष्टिकर्ता भगवान वाल्मीकि जो आदिकवि के रूप में प्रसिद्ध हैं। उन्होंने संस्कृत मे रामायण की रचना की। उनके द्वारा रची रामायण वाल्मीकि रामायण कहलाई। रामायण एक महाकाव्य है जो कि राम के जीवन के माध्यम से हमें जीवन के सत्य व कर्तव्य से, परिचित करवाता है।
वाल्मीकि रामायण में श्रीराम को साधारण मनुष्य नहीं दिखाया गया है। वाल्मीकि रामायण में भी श्रीराम को भगवान् विष्णु का अवतार और परम ब्रह्म बताया गया है, जहाँ ब्रह्मा भी उनकी स्तुति करते हैं।
आप स्वयं ही देखिए कि वाल्मीकि रामायण में ब्रह्मा जी नें श्रीराम की किस प्रकार स्तुति की है :
उद्धरण :
भवान् नारायणो देव: श्रीमांश्रच्क्रायुध: प्रभु:।
एकश्रृंगो वराहस्त्वं भूतभव्यसपत्नजित्।।१३।।
अक्षरं ब्रह्म सत्यं च मध्ये चान्ते च राघव।
लोकानां त्वं परो धर्मो विश्वक्सेनश्चतुर्भुज:।।१४।।
शार्ङग्धन्वा हृषीकेश: पुरुष: पुरुषोत्तम:।
अजित: खड्गधृग विष्णु: कृष्णश्चैव बृहद्वल:।।१५।।
(स्रोत : सर्ग 117, युद्धकाण्ड, वाल्मीकि रामायण)
अर्थ : (ब्रह्मा जी कहते हैं -) आप चक्र धारण करने वाले सर्वशक्तिशाली भगवान् नारायण हैं। आप एक सींग वाले भगवान् वराह हैं तथा देवताओं के भूतकाल के व भविष्य के सभी शत्रुओं को जीतने वाले हैं।
रघुनन्दन! आप अविनाशी परब्रह्म हैं। सृष्टि के आदि, मध्य और अंत में सत्य रूप से विद्यमान हैं। आप ही लोकों के परम धर्म हैं। आप ही चार भुजाओं वाले श्रीहरि हैं।
आप ही शार्ङग्धन्वा, हृषीकेश और सर्वोत्तम परम पुरुष हैं। आप किसी से पराजित नहीं होते। आप नन्दक नामक खड्ग धारण करने वाले विष्णु और आप ही महाबली श्रीकृष्ण हैं।

इसी तरह वाल्मीकि रामायण के युद्ध काण्ड के पूरे 117वें सर्ग में और अन्य कई जगहों पर श्रीराम को ईश्वर बताने वाले श्लोक मिलते हैं। अतः यह कहना बिलकुल गलत है कि वाल्मीकि रामायण में श्रीराम को साधारण मनुष्य बताया गया है। वाल्मीकि रामायण में भी भगवान् राम को विष्णु जी का अवतार मानकर उनकी कई बार स्तुति की गई है। हाँ, युद्ध काण्ड में श्रीराम यह कहते हैं कि उन्हें उनके अवतार होने के सन्दर्भ मे कुछ ज्ञात नहीं है, जिसके बाद ब्रह्मा जी और अन्य देवता उन्हें उनके असली रूप का परिचय देते हैं और उनकी स्तुति करते हैं।
अतः यदि आप वाल्मीकि रामायण पर विश्वास करते हैं, तो आपको इस बात पर भी विश्वास करना होगा कि श्रीराम साधारण मनुष्य नहीं बल्कि श्रीविष्णु के अवतार थे तथा उनके भगवद् रूप के बारे में तुलसीदास जी नें कोई मनगढ़ंत बात नहीं लिखी।




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