सरस्वती प्रार्थना
।। श्रीराधाकृष्ण चरणकमलेभ्यो नम: ।।
हे शारदे मां, हे शारदे मां अज्ञानता से हमें तार दे मां।
तू स्वर की देवी है संगीत तुझसे
हर शब्द तेरा है हर गीत तुझसे
हम है अकेले हम है अधूरे
तेरी शरण हम, हमें प्यार दे मां
हे शारदे मां, हे शारदे मां अज्ञानता से हमें तार दे मां।
मुनियों ने समझी, गुणियों ने जानी
वेदों की भाषा, पुराणों की बानी
हम भी तो समझें, हम भी तो जाने
विद्या का हमको अधिकार दे मां
हे शारदे मां, हे शारदे मां अज्ञानता से हमें तार दे मां।
तू श्वेत्वर्णी ,कमल पे विराजे
हाथों में वीणा, मुकुट सर पे साजे
मन से हमारे मिटा दे अंधेरे
हमको उजालों का संसार दे मां
हे शारदे मां, हे शारदे मां अज्ञानता से हमें तार दे मां।
गुरूर्ब्रह्मा, गुरूर्विष्णु, गुरूर्देवो महेश्वर:।
गुरु साक्षात् परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः।।
हे हंसवाहिनी, ज्ञानदायिनी, अम्ब विमल मति दे...
जग सिरमौर बनाये भारत, वह बल विक्रम दे...
साहस, शील हृदय में भर दे, जीवन त्याग तपोमय कर दे,..
संयम सत्य स्नेह का वर दे, स्वाभिमान भर दे...
हे हंसवाहिनी, ज्ञानदायिनी, अम्ब विमल मति दे...
लव, कुश, ध्रुव, प्रहलाद बनें हम, मानवता का त्रास हरें हम,..
सीता, सावित्री, दुर्गा मां फिर घर घर भर दे...
हे हंसवाहिनी, ज्ञानदायिनी, अम्ब विमल मति दे...
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।।श्रीराधाकृष्ण विजयतेतराम।।