ज्योतिष
।। श्रीराधाकृष्ण चरणकमलेभ्यो नम: ।।
ज्योतिष
सूर्य निम्नलिखत अंशो पर हो तो ये बाण होते है -
रोग बाण - 8,17,26
अग्नि बाण - 2,11,20,29
नृप बाण - 4,13,22
चौर बाण - 6,15,24
मृत्यु बाण - 1,10,19,28
सूर्य से 11 अंश न्यून गुरु तो गुरु अस्त
सूर्य से 10 अंश न्यून शुक्र तो शुक्र अस्त
तारा विचार
जन्म नक्षत्र से वर्तमान नक्षत्र की संख्या गिनकर 9 से भाग दे 3,5,7 शेष नहीं आना चाहिए।
गंड मूल
अश्वनी, मघा, श्लेष, ज्येष्ठा, मूल, रेवती
मूल नक्षत्र शांति मंत्र: ॐ मातेवपुत्रं पृथिवी पुरीष्यमग्नि Ωस्वयोनावभारूषा तां विश्वेदैव ऋतुभि: संविदान: प्रजापति विश्वकर्मा विमुंचत।
पंचक नक्षत्र:- धनिष्ठा से रेवती
शुक्र अंध:- रेवती, अश्विनी, भरणी और कृतिका के प्रथम चरण में शुक्र रहे तो वह अंध होता है।
चातुर्य यंत्र- शुक्ल पक्ष चतुर्दशी की रात्रि में अपने दाएं हाथ पर लिखें

विवाह मुहूर्त
विवाह नक्षत्र - रोहिणी, उ.भा. , उ. षा. , उ.फा. , मूल, स्वाति, मृगशिरा, मघा, अनुराधा और हस्त।
वर कन्या की राशि से वर्तमान चन्द्र 4,8,12 में नहीं होना चाहिए।
सिंदूरदान स्थिर लग्नों में ही होना चाहिए 2,5,8,11.
यात्रा विचार
चन्द्रमा दाए या सामने होना चाहिए।
1,5,9- चन्द्र पूर्व
2,6,10- चन्द्र दक्षिण
3,7,11- चन्द्र पश्चिम
4,8,12- चन्द्र उत्तर
गुरु को दक्षिण व पश्चिम दिकशुल होता है।
त्याज्य तिथि - 4,9,14,1,8,30
राहु काल वारानुसर (24 hours format)
रविवार - 16:30 से 18:00
सोमवार - 07:30 से 09:00
मंगलवार - 15:00 से 16:30
बुधवार - 12:00 से 13:30
गुरुवार - 13:30 से 15:00
शुक्रवार - 10:30 से 12:00
शनिवार - 09:00 से 10:30
सौम्या वक्रा महाशुभाः, क्रूरा वक्रा महाक्रुरा।
श्रीकृष्णभक्त शनि स्तोत्र
नमस्ते कोण संस्थाय पिंगलाय नमोस्तुते ,
नमस्ते विष्णुरूपाय कृष्णाय च नमोस्तुते ।
नमस्ते रौद्रदेवाय नमस्ते काल कायजे,
नमस्ते यम संज्ञाय शनैश्चराय नमोऽस्तुते ।।
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जन्मलग्न कुंडली में स्थित सुर्य के अनुसार जन्म समय ज्ञात करना:

सूर्य यदि प्रथम भाव में हो तो सुबह के ६-७ बजे के बीच का जन्म होता है।
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घटीपल को घंटा व मिनट में परिवर्तन करना:
ज्योतिष सिद्धांत
(१) घटीपल को २ से गुणा करें, यहां ६=१ और यदि
पल ६ से ज्यादा हो, तो ६ को घटी में जोड़ेंगे और शेष संख्या को यथावत लिखें।
और ५ से भाग देंगे, यदि शेष बचेगा तो उसमें ६० से गुणा करके पल को जोड़ के पुनः ५ से भाग देंगे और इन सबके बाद सूर्योदय का समय जोड़ेंगे और उसमें से १२:०० घटाएंगे या कुछ परिस्थितियों में २४:०० घटाएंगे। जैसे:-
घटी ५४:४० पल
x२ (२ से गुणा)
------------
५ )१०९:२०(२१
१०
——
९
५
-------
४ x ६० = २४०
+२०
-------
५)२६०(५२
२५
----
१०
१०
-----
०
भागफल (Quotient) क्रमशः २१ और ५२ बचे हैं अतः इसमें सूर्योदय समय ६:४६ जोड़ेंगे जैसे:
२१:५२
+०६:४६
————
२८:३८ यहां ५+४=९ परंतु यह ६ से ज्यादा है अतः केवल ३ यहां लिखेंगे और बाकी ६ को घटी में जोड़ेंगे चूंकि ६=१ अतः ६+१+(१) =८
यदि यहां १३ होता तो हम यहां केवल १ लिखेंगे और १२=२ (क्योंकि ६=१) को घटी में जोड़ेंगे
अब प्राप्त परिणाम से १२:०० घटाएंगे जैसे:
२८:३८
–१२:००
––––––
१६:३८ ( २४ घंटे के प्रारुप में)
अतः घटी पल ५४:४० = ४:३८ सायं काल तक रहेगा।
फल दीपिका शास्त्र से
१.यदि किसी कुंडली में गुरु बारहवें भाव में बैठा हो तो जातक स्वर्ग में स्थान प्राप्त करता है।
२.राहु किसी भी कुंडली के तीसरे भाव में हानिकारक होता है जबकि केतु शुभ होता है।
भूत भगाने (झाड़ने) का मंत्र:
“नारायणानन्त हरे नृसिंह,प्रह्लादबाधा हरे: कृपालु”
शत्रुनाशक मंत्र:
“ॐ अघोरेभ्योऽथ घोरेभ्यो घोर घोर तरेभ्य:,
सर्वेभ्यस् सर्व सर्वेभ्यो नमस्तेऽस्तु रुद्र रूपेभ्य: ”
: चंद्र अनुसार जातक का पाया :
चंद्रमा यदि लग्न से...(या जिस राशि में चंद्र हो)
भाव 3 - 7 - 10 में हो तो ताम्बा का पाया
भाव 4 - 8 - 12 में हो तो लोहा का पाया
भाव 1 - 6 - 11 में हो तो सोना का पाया
भाव 2 - 5 - 9 में हो तो चांदी का पाया
चंद्रमा के लिए ताम्बा व चांदी का पाया शुभ और लोहा व सोने का पाया अशुभ होता है।
: शनि अनुसार जातक का पाया :
यदि लग्न से...(या जिस राशि में चंद्र हो)
भाव 3 - 7 - 10 में हो तो ताम्बा का पाया
भाव 4 - 8 - 12 में हो तो लोहा का पाया
भाव 1 - 6 - 11 में हो तो सोना का पाया
भाव 2 - 5 - 9 में हो तो चांदी का पाया
शनि यदि
लौह पाद में हो तो धन विनाश
स्वर्ण में हो तो सुख
ताम्र में हो तो समता
रजत में हो तो सौभाग्य होता है
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।।श्रीराधाकृष्ण विजयतेतराम।।