योग सदाचार है

।। श्रीराधाकृष्ण चरणकमलेभ्यो नम: ।।

योग सदाचार है,
           योग सद्विचार है।

योग चित्त वृत्ति का, 
           मन की विशुद्धि का।
 अविद्या से मुक्ति का,
          दु:खत्रय निवृत्ति का।।
साधना और सिद्धि का,
           त्रैलोक्य में प्रसिद्धि का।
 सुखद-जीवन-विधि का,
           आरोग्य रुपी निधि का।।
सुन्दर-सुख-साधन, 
           इसकी महिमा अपार है-
योग सदाचार है, 
            योग सद्विचार है।।

निज के कल्याण का,
        आत्म के निर्वाण का।
 आयाम पञ्चप्राण का,
         प्राणों के त्राण का ।
अन्तर्जगत के विज्ञान का,
    परम तत्व के सन्धान का।। 
क्या सार क्या असार,
             जाने क्या संसार है-
योग सदाचार है 
            योग सद्विचार है ।।

चित्त के प्रति-पालन का,
           आत्म-संचालन का ।
यह इंद्रियों पर शासन का,
        सिद्धांत अनुशासन का।। 
तद्-ब्रह्म की उपाधि का,
          स्वरूप है समाधि का।
 मानसिक-आधि का ,
           निदान सर्व-व्याधि का।।
'सत्य' जानो कर्तव्य ,
            यही सद्व्यवहार है -
योग सदाचार है,
              योग सद्विचार है।।

अन्तरात्मा से लगन का,
        परमात्मा से मिलन का।
साधनाओं के चरण का,
        उन्मोचन-आवरण का।।
अवधारण विभूति का,
          साधन-परानुभूति का।
चरम-बिन्दु है यही
       कैवल्य की अनुभूति का।।
हम सबका लक्ष्य, परम-
        पुरुषार्थ का आधार है-
योग सदाचार है ।
       योग सद्विचार है।।


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