मां कामाख्या एवं गोमाता स्तुति

।। श्रीराधाकृष्ण चरणकमलेभ्यो नम: ।।

१.मां कामाख्या स्तुति
कामाख्या वरदे देवी, नील पर्वत वासिनी।
त्वम देवी जगन्माता, योनि मुद्रे नमोस्तुते।।
कामदे कामरूपस्ते, सुभगे सुसेविते।
करोमी दर्शनम देव्या, सर्वकामार्थ सिद्धये।।

२. गोमाता
यही देहु आज्ञा तुर्क, गाहै खपाऊं।
गऊ घात का दोष, जग सिऊ मिटाऊं।।
यही आस पुरन, करौ तू हमारा।
मिटे कष्ट गौअन, छटे खेद भारी।।

3. तीर्थं 
सार्द्ध क्रोशद्वयं मानं गयेति ब्रह्माणेरितम्।
पंचक्रोशं गया क्षेत्रं क्रोशमेकम् गयाशिरः।।
तन्मध्ये सर्वतीर्थानि त्रैलोक्ये यानी सन्तिवै 
(वायु पुराण)

अयोध्या मथुरा माया काशी कांची अवंतिका।
पुरी द्वारावती चैव सप्तैता मोक्षदायिकाः॥

1.7.3..... जनित्रे सामवेद (मृत्यु उपरांत कर्म)

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