विश्वमंगल प्रार्थना व आरतियां
।। श्रीराधाकृष्ण चरणकमलेभ्यो नम: ।। विश्वमंगल प्रार्थना व आरतियां सुखी बसे संसार सब दुखिया रहे न कोय यह अभिलाषा हम सबकी मेरे भगवन पूरी होय।। विद्या बुद्धि तेज बल सबके भीतर होय दूध पुत धन धान्य से वंचित रहे न कोय।। कृष्ण की भक्ति प्रेम से मन होवे भरपूर राग द्वेष से चित मेरा कोशो भागे दूर।। मिले भरोसा राम का, हमे सदा जगदीश आशा तेरे धाम की बनी रहे मम ईश।। नारायण प्रभु आप हो, पाप के मोचन हार नाव पड़ी मझधार में, कर दो भव से पार।। पाप से हमें बचाईए, करके दया दयाल अपना भक्त बनाईके सबको करो निहाल।। कृष्ण कृपा कीजिए, भक्ति बढ़े अविराम साधु सत्संग दीजिए, संग दया नम्रता ज्ञान।। ®®®®®®®®®®®®®®®®®®®®®®® जय भगवद्गीते, जय भगवद्गीते । हरि-हिय-कमल-विहारिणी, सुंदर सुपुनीते।। जय... कर्म-सुमर्म-प्रकाशिनी, कामासक्तिहरा। तत्वज्ञान-विकाशिनी, विद्या ब्रह्म परा ।।जय... निश्चल-भक्ति-विधायिनी, निर्मल मलहारी। शरण-रहस्य-प्रदायिनी, सब विधि सुखकारी ।।जय... राग-द्वेष-विदारिणी, कारिणि मोद सदा। भव-भय-हारिणि, तारिणि, परमानन्दप्रदा ।।जय... आसुर-भाव-विनाशिनि, नाशिनि तम-रजनी। दैवी सद्गुणदायिनि, हरि-रसिका सजनी ।।जय... सम